Saturday, August 6, 2011

Dr.Archana Sharma...............डा. अर्चना शर्मा



Archana Sharma (born :18 july 1960 – Aligarh, UP )
experimental physicist and a staff member of CERN - European Organization for Nuclear Research.

अर्चना शर्मा (जन्म :18 july 1960 – अलीगढ , उत्तर प्रदेश )
एक्सपेरीमेंटल भौतिक वज्ञानिक एवम दुनिया की सबसे बड़ी भूमिगत प्रयोगशाला सेर्न में स्टाफ फिजिसिस्ट के रूप में कार्यरत

लार्ज हेड्रान कोलाइडर एक्सपेरीमेंट (एलएचसी) प्रयोग से जुड़ी अर्चना शर्मा विज्ञान के क्षेत्र में नए कीíतमान रचती महिलाओं का सबसे ताजा उदाहरण हैं। उम्मीद की जा रही है कि यह प्रयोग भौतिकी के कई बुनियादी नियमों का रहस्य खोलेगा। ब्रह्माण्ड कैसे बना, उसकी शुरुआत कैसे हुई? जैसे कई नियमों के स्पष्ट प्रमाण मिलेंगे। अर्चना ने अपना स्नातक बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से 1980 में किया था। इन महिला वैज्ञानिकों को देख कर कहा जा सकता है कि यह सदी महिला वैज्ञानिकों की है। पिछले एक दशक में विज्ञान और टेक्नोलॉजी की दुनिया में भारतीय महिलाओं ने नई बुलंदियां छुई हैं। यह बात इस मायने में काबिले तारीफ है कि यह भी एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें कम से कम भारत में पुरुषों का एकाधिकार-सा माना जाता था, लेकिन इनके जैसी महिलाओं ने इस परिपाटी को तोड़ दिया है। सबसे प्रमुख बात है कि पिछले एक दशक में भारतीय महिलाओं ने जो काम किए हैं, वह एक मिसाल बन गए हैं। उनके दिए गए नियम, खोजे गए अविष्कारों ने विज्ञान की दुनिया में एक मुकाम हासिल किया है।
डॉ. अर्चना शर्मा जेनेवा में दुनिया की सबसे बड़ी भूमिगत प्रयोगशाला सेर्न में स्टाफ फिजिसिस्ट के रूप में कार्यरत हैं और प्रोटॉन बीम की टक्कर वाले प्रयोग में शामिल होने वाली एकमात्र भारतीय महिला वैज्ञानिक हैं।

सेर्न में मौजूद दुनिया के सबसे बड़े पार्टिकिल कोलाइडर एलएचसी की 27 किलोमीटर लंबी सुरंगनुमा ट्यूब में लगभग रोशनी की रफ्तार से- विपरीत दिशाओ में चक्कर काट रहे प्रोटॉन्स की आपस में टक्कर से उम्मीद की जा रही है कि इस से मिलने वाली जानकारी से पृथ्वी की उत्पत्ति की 'बिग बैंग' थ्योरी को समझने में मदद मिलेगी.यह प्रयोग भौतिकी के कई बुनियादी नियमों का रहस्य खोलेगा। ब्रह्माण्ड कैसे बना, उसकी शुरुआत कैसे हुई? किस चीज़ का बना हुआ है और वह कौन-सी शक्ति है, जो इस दुनिया को, ब्रह्मांड को, बाँधे हुए है? इस प्रयोग से यह रहस्य खुलने का अनुमान है कि आख़िर द्रव्य क्या है? और उनमें द्रव्यमान कहाँ से आता है? भौतिकशास्त्रीयों का कहना है, "हम द्रव्य को उस तरह से देख सकेंगे जैसा पहले कभी नहीं देखा गया." "वह एक सेकेंड का एक अरबवाँ हिस्सा रहा होगा जब ब्रह्मांड का निर्माण हुआ होगा और संभावना है कि हम उस क्षण को देख सकेंगे.क्योकि इस प्रयोग का एक उद्देश्य हिग्स बॉसन कणों को प्राप्त करने की कोशिश करना भी है जिसे इश्वरीय कण भी माना जाता है. यह एक ऐसा कण है जिसके बारे में वैज्ञानिक सिद्धांत रूप में तो जानते हैं और यह मानते हैं कि इसी की वजह से कणों का द्रव्यमान होता है. "
लेकिन परीक्षण से पहले ही इस पर सवाल भी खड़े होने लगे हैं और यहां तक कहा जाने लगा है कि इससे पृथ्वी ब्लैक होल में बदल सकती है.जैसे कई नियमों के स्पष्ट प्रमाण मिलेंगे।पर भारत समेत दुनियाभर के 80 से ज्यादा देशों के 8,000 से ज्यादा वैज्ञानिकों की 14 साल की मेहनत के द्वारा यह साबित हो गया कि इस प्रयोग से कहीं कोई ब्लैक होल पैदा नहीं हुआ और धरती उसमें समा नहीं गई। एलएचसी में प्रोटॉन्स की शानदार टक्कर के बाद अब हमने अज्ञान के ब्लैकहोल से बाहर निकलकर विज्ञान के उजाले की ओर कदम बढ़ा दिए हैं।

बिग बैंग-2 : कुछ रोचक तथ्य

* एलएचसी की 27 किलोमीटर लंबी ट्यूब में आपस में टकराते समय प्रत्येक प्रोटॉन में 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती ट्रेन जितनी ऊर्जा होगी।

* एलएचसी को तीन चरणों वाला प्रोटॉन एक्सीलरेटर कहा जा सकता है। पहले चरण में हाईड्रोजन को तोड़कर उसमें से प्रोटॉन निकालने की प्रक्रिया पूरी होती है। इन प्रोटॉन्स को गति देने के लिए दूसरा चरण होगा। तीसरे चरण में प्रकाश की गति से प्रोटॉन्स की बौछार होती है।

* अमेरिका के अपोलो मिशन के बाद यह दुनिया का सबसे बड़ा प्रयोग है।

* यू-ट्यूब पर इस श्रंखलाबद्ध प्रक्रिया का एक काल्पनिक वीडियो जारी किया गया है। इसे अब तक करीब 13 लाख बार देखा गया है।

* सालभर में एलएचसी के जरिए चार बार बिग बैंग को दोहराने की कोशिश की जाएगी और इन प्रक्रियाओं में एफिल टावर जितना ऊंचा मलबा इकट्ठा होगा।

* प्रयोग के आंकड़ों में से सालाना लगभग 15 पिटाबाइट आंकड़ों की छंटाई के बाद भी इतने आंकड़े जुटेंगे कि उनसे 20 लाख डीवीडी तैयार की जा सके। ,

* एलएचसी में प्रत्येक प्रयोग में 140 खरब वोल्ट की ऊर्जा की खपत होगी।

* उपकरण के सबसे अहम व आखिरी चरण में 120 मेगावाट के बराबर ऊर्जा की खपत होगी।

* प्रयोग के लिए 10 हजार से ज्यादा कंपनियों को साझेदार बनाया गया है।

Archana Sharma (born :18 july 1960 – Aligarh, UP )

Archana Sharma is an Indian experimental physicist and a staff member of CERN - European Organization for Nuclear Research since 1987 and is presently working on the Compact Muon Solenoid (CMS) experiment at the Large Hadron Collider (LHC) project in Geneva, Switzerland

She completed her ISCE Senior Cambridge, from St. Francis’ Convent High School, Jhansi, India 1976. and she did B.Sc., Bachelor's from Banaras Hindu University (BHU) in 1980. This was followed by a M.Sc. Master's in Nuclear Physics, also from the Banaras Hindu University, India 1980-1982. She has a PhD in Physics from University of Delhi 1989, a D.Sc fromUniversity of Geneva 1996, and was awarded an Exec. MBA from International University in Geneva in 2001.
.She has given over 30 courses on gaseous detectors in prestigious workshops including ones at the NATO School in St. Croix in 2002, Snowmass Meeting in Denver, Colorado in 2002 and International Committee on Future Accelerators Meetings.
A widely respected scientist she even found a part in a movie where she shared her views about how the mythical theories of creation co-relate with scientific findings at CERN.
So this Apogee, be a witness to the unveiling of the mysteries of universe, with a BIG BANG!!

1 comment:

  1. Naresh ji....Archna sharma ji ka kaarnaama iss baat ka ek aur jeeta-jaagta saboot hai ki mahilaayen, purushon se kisi bhi roop main kam nahin hai....main ye maanta hoon agar mahilaaon ko ghar-pariwaar v samaaj se sahyog mile toh wah woh sab bhi kar sakti hain jo purush, naari ke baare main soch bhi nahin sakta....sach toh ye hai ki naari ki kshmtaaon ko abb pahchaana jaane laga hai....Naresh ji..yahaan par naari ki safalta ke baare main har baat likh paana sambhav nahin hai..
    agar main naari ki khoobion v visheshtaaon ki baat karoon toh mera maan-na hai ki purush aaj bhi mahilaaon ki kshamtaaon se poornroop se parichit ho hi nahin paaya hai....naari kshamtaaon ka ''BHANDAAR'' hai....!
    Naresh ji....''Adjustment..Inner strength..Understanding..D​edication..
    Attatchment towards her faimly''..All of these are IN-BUILT qualities of a ''WOMEN''....A women makes house a ''HOME''....in simple words....
    They are the chief ARCHITECT....but i feel one thing more important is....''The thing..women have yet to learn is nobody gives you power..
    you just take it''....
    Naresh ji....ARCHNA SHARMA JI dwaara vigyaan ke chetr main arjit ki gayi safalta..ek naari ki kshmtaa..uski mehnat v uski laganshiltaa ka sajeev chitran hai....naari ke guron ko issi pariprekshya main dekhte hue yadi pariwaar v samaaj use kaarya karne ki ''AAZAADI'' de..toh aisi bahut saari vilakshan pratibha ki dhani mahilaayen hain..jo apni pratibha siddh karne ke liye betaab hain..par unhen mauka na diye jaane ki wajah se..ghut kar rah jaati hain v kunthagrast ho jaati hain..
    apekshit sahyog ke abhaav main unki pratibha nasht ho kar rah jaati hai....sapno ka toot jaana....bahut dukhad hota hai ye sab......!!!
    Naresh ji....''BHARAT KI NAARI......'' series ke antargat aapne Adarniya ''ARCHNA SHARMA'' ji ke jeewan ka parichay karwaya....tatha unki uplabdhiyon se ru-b-ru karwaya iss ke liye aap dhanyata ke paatr hain....aapka tah-e-dil se aabhaari hoon....
    Adarniya ''ARCHNA SHARMA'' ji ko mera..NAMAN..meri prabhu se praarthna hai ki bhavishya main bhi woh apne ''MISSION' main safal hon....unki v unki saari teem ki safaltaa ke liye meri anekanek ''SHUBHKAAMNAAYEN''.......​.......!

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