Friday, August 5, 2011

Kalpana Saroj......................................कल्पना सरोज


Kalpana Saroj - India's real Slumdog billionaire

कल्पना सरोज – एक दलित परिवार में पैदा हुई ..... 12 वर्ष की उम्रमें ही विवाह... साल भर के अंदर ही विवाह टूट गया...... आत्महत्या की कोशिश.....दुबारा विवाह........दूसरे पति का निधन.......फिर कारोबार शुरू किया......और आज.......३००० करोड का व्यवसाय.....कमानी टयूब्स की मालकिन .....सफल महिला उद्यमी.........
You could call her India's real life slumdog billionaire. Kalpana Saroj, a Dalit woman who broke social shackles and left her ramshackle

home in the poorest part of her village 26 years ago to begin life afresh, today heads a Rs 3,000 crore business enterprise.

On Monday, state Forests Minister Babbanrao Pachpute inaugurated the new plant of her company Kamani Tubes in Wada, around 75 km from Mumbai.

For the 48-year-old Saroj, it was a dream come true. Standing outside the factory premises with her husband Shubhkaran, pilot son Amar, 24, and daughter Seema, 22, she smiled radiantly -- and remembered her painful past.


खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले, खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है? शायद यह पंक्तियां कल्पना सरोज जैसी महिला के लिए ही लिखी गई हैं, जो उस बीमार कंपनी को नया जीवन देने का प्रयास कर रही हैं जिसे हाथ लगाने से बड़े-बड़े उद्योगपति भी डर रहे थे।
महाराष्ट्र के अकोला जिले में एक दलित परिवार में जन्मी कल्पना सरोज के पिता पुलिस विभाग में हवलदार थे। पांच भाई-बहनों सहित सात सदस्यों के परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुट पाना भी मुश्किल था। शिक्षा बीच में ही छुड़वाकर परिवार की परंपराओं के मुताबिक 12 वर्ष की उम्रमें ही विवाह हो गया। ससुराल मुंबई में थी। झोपड़पट्टी में छोटा सा घर और संयुक्त परिवार। गांव के खुले माहौल से आई बच्ची को यह रहन-सहन बिल्कुल रास नहीं आया और साल भर के अंदर ही विवाह टूट गया।
पिता के घर वापस जाने पर फिर से पढ़ाई शुरू हुई। साथ ही जीवनयापन की योजना के तहत सिलाई का काम भी सीखना शुरू कर दिया। लेकिन ससुराल छोड़कर आई किशोरी को कैसी परिस्थितियों से गुजरना पड़ा होगा, इसका अनुमान उस त्रासद घटना से ही लगाया जा सकता है, जिसके तहत कल्पना ने एक दिन जहर की तीन शीशियां एक साथ गले के नीचे उतार ली। अस्पताल ले जाया गया। जान बच गई। लेकिन देखने आनेवाले हर शख्स की जुबान पर एक ही बात थी कि अगर मर जाती तो लोग यही कहते कि महादेव की बेटी ने कुछ गलत किया होगा, तभी जान दे दी।
दक्षिण मुंबई के बेलार्ड पियर्स स्थित कमानी चैंबर्स के अपने कार्यालय में बैठी कल्पना सरोज के कानों में लोगों के ये ताने आज भी गूंजते रहते हैं। वह कहती हैं कि किसी ने भी उस समय यह पूछने की कोशिश नहीं की कि किन तकलीफों से तंग आकर मैंने आत्महत्या की कोशिश कर डाली। कल्पना ने तभी तय कर लिया कि अब जीना है तो अपनी शर्तो पर, वह भी कुछ करके दिखाने के लिए। लोगों से सुना था कि मुंबई में नौकरी आसानी से मिल जाती है। इसलिए पिता से मुंबई भेजने की जिद की। ससुराल तो छूट ही चुकी थी, इसलिए पिता ने मुंबई में रह रहे एक चाचा के पास रहने की व्यवस्था करवा दी। सिलाई सीख रखी थी, इसलिए दो रुपये रोज की मजदूरी पर एक होजरी के कारखाने में हेल्पर की नौकरी मिल गई । कुछ अच्छे लोगों की संगत में थोड़ी-बहुत पढ़ाई-लिखाई भी हुई, लेकिन दसवीं पास करने का मौका फिर भी [आज तक भी] नहीं मिला।
संयोग से दुबारा विवाह हुआ मुंबई के निकट कल्याण शहर में। पति स्टील की सस्ती अलमारियां एवं अन्य वस्तुएं बनाने का व्यवसाय करते थे। उनसे दो बच्चे हुए और पति के निधन से यह साथ भी छूट गया। कम पढ़ी लिखी बेसहारा औरत एवं दो छोटे बच्चे। रोजगार का कोई अनुभव नहीं। इसके बावजूद पति का व्यवसाय ही आगे बढ़ाकर जीविका चलाने की ठान ली। काम चल निकला। पति के समय से भी ज्यादा। बचत भी होने लगी । कुछ पैसे जुटाकर एक ऐसी जमीन का टुकड़ा खरीद लिया, जिस पर तमाम अवैध कब्जे थे। किसी तरह कब्जे हटवाकर बैंक से ऋण लेकर एक रिहायशी इमारत बनाकर भवन निर्माण के व्यवसाय में कदम रख दिय। लाभ हुआ तो एक और इमारत बनाई । साथ ही क्षेद्द के बेरोजगार युवकों को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाकर रोजगार शुरू करने में भी मदद की।
धीरे-धीरे छवि ऐसी बनती गई कि जब आजादी के दौर के एक प्रसिद्ध व्यावसायिक घराने की कंपनी कमानी टयूब्स लिमिटेड डूबने लगी और बीआईएफआर [बोर्ड फारइंडस्ट्रियल एवं फाइनेंशियल रिकंसट्रक्शन] ने इसे संभालने के लिए किसी को आगे आने का प्रस्ताव रखा तो कल्पना के पड़ोस में रहने वालेकंपनी के कुछ कर्मचारी उनके पास इस उम्मीद से जा पहुंचे कि वही इस कंपनी को संभाल सकती हैं।
बंद पड़ चुकी कमानी टयूब्स लिमिटेड। उस पर 116 करोड़ रुपयों का कर्ज। 120 से ज्यादा मुकदमे। 500 से ज्यादा कर्मचारियों के बकाया देय। और दो यूनियनें। इनमें से एक कर्मचारी संगठन एक बार बीआईएफआर से कंपनी की कमान संभालकर असफल भी हो चुका था। दूसरी ओर कल्पना को कंपनी चलाने का कोई अनुभव नहीं। इसके बावजूद हिम्मत बांध ली। क्योंकिसवाल खुद के लिए पैसा कमाने का नहीं, बल्कि कंपनी बंद होने से बदहाल हो रहे कर्मचारियों के भविष्य का था।
10 लोगों का एक समूह बनाकर कंपनी चलाने की रूपरेखा तैयार की और बीआईएफआर के सामने हाजिर हो गई । बीआईएफआर ने वर्ष 2000 में उनके कंपनी चलाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। उन्हें छह साल लगे कंपनी के वित्तीय पचड़ों को सुलझाने में। ऋणदाता बैंकों से कई दौर की बातचीत करके ऋणकी राशि 116 करोड़ से घटाकर 40 करोड़ तक लाने में कामयाब रहीं। कंपनी छोड़कर जानेवाले 566 कर्मचारियों को कुल 8.5 करोड़ रुपयों की एकमुश्त अदायगी की।
21 मई, 2006 को कमानी टयूब्स लिमिटेड की चेयरपर्सन का दायित्व संभालनेवाली कल्पना सरोज अब बेलार्ड पियर्स स्थित अपने जिस कार्यालय में बैठती हैं, वह अनिल अंबानी के स्वामित्ववाले रिलायंस सेंटर से चंद कदमों की दूरी पर वाडिया हाउस के ठीक सामने स्थित है। इस मार्ग का नाम ही कमानी रोड है।
कल्पना के विश्वस्त सहयोगी एवं कंपनी के प्रबंध निदेशक एमके गोरे बताते हैं कि नए प्रबंधन में आने के बाद अपने पहले उत्पादन वर्ष में ही कंपनी ने 375 से 500 करोड़ रुपयों के बीच व्यवसाय का लक्ष्य निर्धारित किया है। यदि कल्पना सरोज की यह कल्पना सफल हो सकी तो यह न सिर्फ उनके जीवन की, बल्कि बीआईएफआर के अब तक के इतिहास की भी अजूबी घटना साबित होगी। संभव है, तब कई एमबीए दांतों तले उंगली दबाकर कल्पना से उनकी सफलता का
राज पूछते नजर आएं।

1 comment:

  1. main..KALPANA SAROJ JI ko salaam karu ya shat-shat naman.....samajh nahi paa raha hoon..ki unke myaar ke alfaaz kahaan se laaoon...Naresh ji aapke maadhyam se unke baare main padha..sochne laga kis mitti ke bane hote hain ye log....? jo toot kar bhi toote nahi, bikharte nahi...apni ichchaa shakti ko banaye rakhte hain..apni kamzoriyon ko apni taakat bana kar aage badte hain....aur jab kaamyaabi inke kadam choomti hai toh ye aane waali naslon ke liye misaal kaayam karte hain va prerna bante hain..aur agar woh ek naari KALPANA SAROJ JI hon...kya kahoon....? aadarniya KALPANA SAROJ JI ki shaan main chand sher aapki khidmat main pesh kar raha hoon....ummeed hai aapko pasand aayenge....

    1)KISI KO HO NAHI SAKTA ISKE KAD KA ANDAAZAA....
    YE AASMAAN HAI JO SAR JHUKAAYE BAITHA HAI....

    2)AGAR DEKHNA HAI MERE UDNE KA ANDAAZ....
    TOH AASMAAN SE KEH DO THODA AUR OONCHA HO JAYE....

    3)JAHAAN JAAYEGA WAHIN ROSHNI LUTAYEGA....
    KISI CHIRAG KA APNA MAKAAN NAHI HOTA....

    4)HUM SAMANDAR HAIN HUME APNA HUNAR MAALOOM HAI....
    JISS TARAF BHI CHAL PADENGE RAASTA HO JAYEGA....
    inhin alfaazon ke saath main aadarniya KALPANA SAROJ JI ki aur tarakki va kaamyaabi ke liye dua karta hoon......................​....AMEN..

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