Thursday, August 11, 2011

Dr Renu Khator ........डा रेणु खाटोर




Dr Renu Khator (Born: 29-Jun-1955-Farrukhabad, Uttar Pradesh (India))
2007 : honored with the prestigious Hind Rattan (Jewel of India) award
Her life philosophy,
"When life gives you lemons and everyone else is busy making lemonade, think about making margaritas!"
 Ensure that student success is our fundamental mission
Place the student at the center of every decision


डा रेणु खाटोर- (जन्म सन १९५५उत्तर प्रदेश राज्य , फर्रूखाबाद)
सन २००७ : भारत सरकार के तरफ् से हिन्द रत्न का सम्मान


साल २००७ में ह्यूस्टन विश्वविद्यालय  के बोर्ड ऑफ रीजेन्ट्स ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए अमरीका के श्रेष्ठतम 200 शिक्षाविदों में से आधिकारिक तौर पर भारतीय मूल की रेणु खाटोर को अपना कुलपति, अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी (सीइओ) चुन लिया। वे इस विश्वविद्यालय की आठवीं कुलाधिपति और 13 वीं अध्यक्ष होंगी। वे पहली भारतीय महिला हैं जो किसी विश्वविद्यालय में इतने ऊंचे और प्रतिष्ठित पद के लिए चुनी गई है। इस खबर के आऩे के बाद से ही खाटोर अमेरीकी मीडिया में छाई हुई हैं।


उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद से अमेरिका के फ्लोरिडा तक और कानपुर से ह्यूस्टन तक की उनकी यात्रा यहाँ के मीडिया में सुर्खियों में है। उनकी इस शानदार उपलब्धि से अमरीका में रह रहा भारतीय समाज और विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे भारतीय छात्रों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। यह भी गौरतलब है कि विगत कई वर्षों से यूनिवर्सिटी ऑफ मिसीसिपी, टेंपल यूनवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ नेवेडा से उन्हें सर्वोच्च पद दिए जाने का प्रस्ताव लगातार मिल रहा था।


उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में एक वकील पिता के यहाँ जन्मी रेणु जब 18 साल की थी तो उनके पिता ने उनसे कहा कि 10 दिन में उनकी शादी होने वाली है। यह सुनकर रेणु को लगा कि उसके पैरों तले धरती खिसक गई है, रेणु ने घर वालों के खिलाफ मौन विद्रोह सा कर दिया और अपने आपको एक कमरे में कैद कर लिया। रेणु को लगा कि उसका पढाई करने का जो सपना है वह शादी के बाद चूरचूर हो जायगा। कानपुर विश्वविद्यालय से बीए करने के बाद उनकी शादी हो गई और शादी के बाद वर्ष 1974 में वे अमरीका आ गई। तब उनके पति सुरेश खाटोर प्यूरड्यू विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे। उनके पति ने उनकी आगे पढ़ने की इच्छा का सम्मान करते हुए उनको एक स्थानीय कॉलेज में दाखिला दिलाया। तब उनकी अंग्रेजी की समझ काफी कमजोर थी, वह अंग्रेजी बोल नहीं पाती थीं। आप इस  बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि कॉलेज में प्रवेश के दौरान डीन के साथ जब उनका इंटरव्यू हो रहा था, तब उनके पति सुरेश खाटोर दोनों के लिए अनुवादक की भूमिका निभा रहे थे। इसके बाद रेणु खाटोर ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। उन्होंने कड़ी मेहनत की और भाषा पर पकड़ बनाने में कामयाब रहीं।


रेणु ने वहाँ रहकर राजनीति विज्ञान में अपनी मास्टर की डिग्री हासिल की। इसके बाद दोनों पति-पत्नी वापस भारत लौट आए। 1983 में उनके पति सुरेश को दक्षिणी फ्लोरिडा विश्वविद्यालय से पढ़ाने का प्रस्ताव मिला और खाटोर दंपति फ्लोरिडा चले आए। रेणु का चयन भी विश्वविद्यालय में अस्थायी तौर पर हो गया। दो दशकों में वह अपनी प्रतिभा और लगन से विश्वविद्यालय  की टॉप फैकल्टी में पहुँच गईं। उनकी इस कामयाबी ने ह्यूस्टन विश्वविद्यालय का ध्यान अपनी ओर खींचा।  उनकी सफलता ने इस कहावत को भी बदल दिया है कि हर सफल आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है, उनके पति सुरेश खाटोर ने जिस तरह से पग-पग पर रेणुजी का उत्साह बढ़ाया और आगे बढ़ने में मदद की उससे यह कह जा सकता है कि किसी सफल औरत के पीछे भी एक आदमी का हाथ होता है।


ह्यूस्टन क्रॉनिकल ने लिखा है कि 13वें विश्वविद्यालय प्रेसिडेंट समारोह में खाटोर बिना नोट्स के ही बोलीं और अपनी सरल, शिष्ट और संस्कारित भाषा से मौजूद लोगों पर जादू सा कर दिया। समारोह में मौजूद उनके पति सुरेश खाटोर ने कहा कि अब उनको अपनी पत्नी के अधीन रहकर काम करना होगा, वे उनके जूनियर हो गए हैं, लेकिन यह उनके लिए गौरव की बात है। जब हमने इंटरनेट पर जाकर सुश्री खटोर के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश की तो यह देखकर चौंक गए कि उनका अधिकृत बॉयोडेटा 23 पृष्ठों का है जिसमें साल दर साल उनके खाते में एक से एक शानदार शैक्षणिक और सामाजिक उपलब्धियाँ तो दर्ज है ही अपने हिन्दी लेखन के लिए भी पुरस्कृत हो चुकी हैं। 1985 से लेकर 2007 तक में उन्होंने कई शोध पत्र और पुस्तकें लिखी हैं। कई विषयों पर व्याख्यान दिए हैं।


लेकिन खाटोर का आगे का रास्ता आसान नहीं है। अमरीका के तीसरे सबसे बड़े और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक ह्यूस्टन में तकरीबन 3 हजार फैकल्टी और 56 हजार से अधिक छात्र हैं।  इतने बड़े विश्वविद्यालय का कामकाज संभालना खुद में एक बड़ी बात है। खाटोर को अब अधिक से अधिक फंड जुटाना होगा और दान देने वाले लोगों को अधिक से अधिक चंदा देने के लिए प्रेरित करना होगा। (यहाँ यह बता देना जरुरी है कि अमरीका के विश्वविद्यालय सरकारी पैसे से नहीं बल्कि बड़ी बड़ी कंपनियों और वहाँ से पढ़ कर जा चुके उन विद्यार्थियों के चंदे से चलते हैं जो अपनी कामयाबी के बाद आर्थिक रूप से अपनी तरह से मदद करते हैं)  यही नहीं, अच्छी से अच्छी फैकल्टी को भी विश्वविद्यालय  से जोड़ने का काम उन्हें करना होगा। इन दोनों जिम्मेदारियों को कामयाबी के साथ अंजाम देने के लिए उन्हें प्रवासी भारतीयों का सहयोग लेना होगा। हालांकि खाटोर को इसका काफी तजुर्बा है। खाटोर जब प्रोवोस्ट के पद पर  थीं, तब उनके प्रयासों से इस विश्वविद्यालय को डॉ. किरण पटेल और उनकी पत्नी पल्लवी ने 18.5 मिलियन डॉलर का दान दिया था। टेक्सास में उतने ही अमीर भारतीय मूल के अमेरिकी रहते हैं, जितने कि फ्लोरिडा में और वे ऐसी स्थिति में पहुँच गए हैं, जहाँ पर शिक्षा, प्रतिष्ठा और गर्व का विषय बन गया है।


आज जब भारतीय मूल के अमेरिकी स्पेस शटल से अंतरिक्ष में जा रहे हैं, कांग्रेस व गवर्नर पद के लिए चुनाव लड़ रहे हैं और वित्तीय संस्थानों के अध्यक्ष बन रहे हैं। ऐसे समय में एक ठेठ प्रवासी भारतीय का किसी अमेरिकी विश्वविद्यालय का कुलपति बनना और अमेरिकी विश्वविद्यालय का अध्यक्ष चुना जाना काफी महत्वपूर्ण है। यही नहीं, अमेरिका के शिक्षण जगत में में किसी प्रवासी भारतीय का महत्वपूर्ण पद पाना वहाँ  के भारतीय समुदाय और विश्वविद्यालय  दोनों के लिए प्रतिष्ठा का विषय है।


Renu Khator: born June 29, 1955) is the eighth chancellor of the University of Houston System and the thirteenth president of the University of Houston. She is the first foreign-born president of the university, and the second woman to hold the position.Khator is also the first Indian American to lead a major research university in the United States, and is the second Indian American to lead an accredited university in the United States.
Prior to moving to the United States, Khator earned a bachelor's degree from the Kanpur University in 1973. Moving soon thereafter, she attended Purdue University, and received Master of Arts in political science and a Doctor of philosophy (Ph.D.) in political science and public administration in 1975 and 1985, respectively.
Beginning in 1985, Khator began a 22-year career affiliation with the University of South Florida. She served in various positions, culminating in her position as provost and senior vice president of the university.
On October 15, 2007, Khator emerged as the sole-finalist for the vacant dual-position as chancellor of the University of Houston System and president of the University of Houston. On November 5, 2007, she was confirmed by the University of Houston System Board of Regents for the dual-position. Renu Khator officially took her position on January 15, 2008 and became the third person to hold a dual position of University of Houston System chancellor and University of Houston president.
Khator was born in Farrukhabad, Uttar Pradesh (India). Through a traditional arranged marriage, she married her husband, Suresh, in 1974. Suresh—another Purdue graduate—holds a doctorate in engineering, and is a professor and associate dean of the University of Houston's Cullen College of Engineering. The Khators have two daughters, Pooja and Parul, who are both ophthalmologists. As chancellor of UH System and president of the University of Houston, she takes residence in the Wortham House provided for her and the family in the Southampton neighborhood of Houston..


Khator  recently joined some of the world’s most respected leaders when she was named to the Indian Prime Minister’s Global Advisory Council.  She serves on many boards, including the Federal Reserve Bank of Dallas, the Greater Houston Partnership, the Houston Technology Center, the Texas Medical Center Policy Council, the Methodist Hospital Research Institute Board, and the Business Higher Education Forum.  She is featured in the American Council on Education's video "The Joys of the Presidency."


The Khators have two daughters, both of whom are ophthalmologists.





1 comment:

  1. Waaah..Naresh ji....''BHARAT KI NAARI....BHARAT KI SHAAN''....ke antargat aaj aapne jis mahaan naari aadarneeya ''RENU KHATOR'' ji ka parichay karwaaya hai..unki lagan v achievements dekh kar unke prati kratagyata se mann bhar aaya....unki umr aur ye jaan kar ki woh Farukhabad mein paida hui....unke prati meri jigyaasa ko aur badhaa gaya..kyoki..mera janm bhi Mainpuri(Farukhabad ke bilkul paas) mein hua tha..aur unki umr bhi mujhse maatr 8 varsh adhik hai..Naresh ji..iss pariprekshya mein sochne se v unki uplabdiyon ka aanklan karne main mujhe adhik sahajta ka anubhav ho rahaa hai..main samajh sakta hoon ki kin haalaat mein..unhone apne aatmbal ko hi apni shakti banaaya hoga....Naresh ji..jaahir hai ki woh convent school mein nahin padhi thin..kyoki uss waqt Farukhabad main convent school tha hi nahin..isliye sansmaran mein ye padh kar ki jab 1974 mein unke America ke ek sthaaniya college mein daakhile ke dauraan unka angrezi-gyaan thik se na hone ke kaaran unke pati dwaara anuvaadak ki bhoomika ka nibhaaya jaana..aur uske baad apni kadi mehnat se na sirf unhone bhaasha par pakad banaayi balki varshon tak athak parishram v anvarat bina ruke chalte hue jo itihaas banaaya..ateet mein ye sab sochte hue unke prati kratagyata se meri aankhein chhal-chhala aayin....nihsandeh unke pati ke saath unka saamanjasya v unke pati ka unke prati yogdaan.. yahaan..inn dono ka bhi unki iss safalta mein ullekh avashyambhaavi hai....do dashakon tak dakshin Florida vishvavidhyalaya mein unka vibhinn padon par apni utkrasht sewaayein dete hue kaarya karna tadopraant unka top faculti mein sthaan banaana..aur ant-tah wo kshan..jab varsh 2007 mein Houston vishvavidhyaalaya ke board of residents dwaara America ke shreshthtam 200 shikshvidon mein se aadhikaarik taur par bhaarteeya mool ki aadarniya ''RENU KHATOR'' ji ko apna kulpati..adhyaksh..aur..mu​khya kaarya-kaari chun liya jaana..unki chattan jaisi ichcha shakti v pahaad jaise iradon ko darshaata hai..unki iss aitihaasik uplabdhi se saare vishva mein faile samast bhaartiya v sampoorn deshvaasi gauraanvit hain....Naresh ji..iss lekh mein aap dwaara ye bataaya jaana ki internet par unka adhikrat bayodeta hi 23 prashth ka hai..jisme unki shekshnik v saamajik uplabdhiyaan darj hain..apne aap mein unki mahaan karmathtaa v aviral-anvarat mehnat ko bayaan karta hai....aisi mahaan naari aadarniya ''RENU KHATOR'' ji ko unki uplabdhiyon ke liye mein badhaayi deta hoon v naman karta hoon..tatha bhavishya mein bhi unki safaltaaon ke liye unhen apni shubhkaamnaayein arpit karta hoon....
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    KUCH LOG THE JO WAQT KE SAANCHE MEIN DHAL GAYE....
    KUCH LOG THE JO WAQT KE SAANCHE BADAL GAYE....

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